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यादें 2011 वर्ल्ड कप की: जब धोनी के छक्के ने 28 साल का सूखा खत्म कर भारत को बनाया था विश्व विजेता, आज 14वीं सालगिरह

नई दिल्ली: तारीख 2 अप्रैल 2011… जगह मुंबई का वानखेड़े स्टेडियम… माहौल जोश और उम्मीदों से लबरेज… और करोड़ों भारतीय फैंस की धड़कनें तेज. आज से ठीक 14 साल पहले, इसी दिन महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में टीम इंडिया ने वो कारनामा कर दिखाया था, जिसका इंतजार पूरा देश 28 सालों से कर रहा था. श्रीलंका को फाइनल में धूल चटाकर भारत ने दूसरी बार वनडे वर्ल्ड कप की प्रतिष्ठित ट्रॉफी पर कब्जा जमाया था. यह दिन भारतीय क्रिकेट इतिहास में सुनहरे अक्षरों में दर्ज है.

जयवर्धने का शतक भी पड़ा फीका, भारत को मिला 275 का लक्ष्य

फाइनल मुकाबले में श्रीलंका के कप्तान कुमार संगकारा ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने का फैसला किया. अनुभवी महेला जयवर्धने ने शानदार बल्लेबाजी करते हुए नाबाद 103 रनों की शतकीय पारी खेली. उनकी इस पारी की बदौलत श्रीलंका ने 50 ओवरों में 6 विकेट खोकर 274 रनों का चुनौतीपूर्ण स्कोर खड़ा किया. भारत की ओर से गेंदबाजी में जहीर खान और युवराज सिंह सबसे सफल रहे, जिन्होंने 2-2 विकेट अपने नाम किए.

गंभीर की गंभीर पारी और धोनी का ‘कैप्टन कूल’ अंदाज

275 रनों के लक्ष्य का पीछा करने उतरी भारतीय टीम की शुरुआत किसी बुरे सपने से कम नहीं थी. विस्फोटक वीरेंद्र सहवाग बिना खाता खोले और मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर सिर्फ 18 रन बनाकर पवेलियन लौट गए. वानखेड़े में मानो सन्नाटा पसर गया. लेकिन फिर क्रीज पर उतरे गौतम गंभीर ने विराट कोहली (35) के साथ मिलकर पारी को संभाला.

कोहली के आउट होने के बाद, कप्तान एमएस धोनी ने सबको चौंकाते हुए खुद को युवराज सिंह से पहले नंबर 5 पर बल्लेबाजी के लिए भेजा. यह एक मास्टरस्ट्रोक साबित हुआ. धोनी ने गंभीर के साथ मिलकर न सिर्फ पारी को संभाला, बल्कि चौथे विकेट के लिए 109 रनों की मैच जिताऊ साझेदारी भी की. गौतम गंभीर (122 गेंदों पर 97 रन) दुर्भाग्यशाली रहे और अपने शतक से चूक गए, लेकिन आउट होने से पहले वह भारत को जीत की दहलीज तक ले आए थे.

और फिर आया धोनी का वो ऐतिहासिक ‘विनिंग सिक्स’

गंभीर के जाने के बाद धोनी ने युवराज सिंह के साथ मिलकर मोर्चा संभाले रखा. जीत भारत की मुट्ठी में नजर आ रही थी. और फिर आया वो पल, जिसका गवाह हर भारतीय क्रिकेट फैन बनना चाहता था. धोनी ने नुवान कुलसेकरा की गेंद पर लॉन्ग ऑन के ऊपर से वह यादगार छक्का जड़ा, जिसने न सिर्फ भारत को विश्व चैंपियन बनाया, बल्कि करोड़ों फैंस के दिलों में हमेशा के लिए एक अमिट छाप छोड़ दी. धोनी 79 गेंदों पर 91 रन बनाकर नाबाद रहे.

पूरे देश में मनी थी ‘असली दिवाली’

धोनी के उस छक्के के साथ ही 28 साल का लंबा इंतजार खत्म हुआ. मुंबई से लेकर दिल्ली, कोलकाता से लेकर चेन्नई तक, पूरा देश जश्न में डूब गया. सड़कों पर लोगों का सैलाब उमड़ पड़ा. हाथों में तिरंगा, जुबान पर ‘इंडिया-इंडिया’ के नारे और आसमान में पटाखों की गूंज… उस रात भारत में मानो असली दिवाली मनाई गई थी. यह जीत सिर्फ एक क्रिकेट मैच की जीत नहीं थी, यह करोड़ों भारतीयों की उम्मीदों और सपनों की जीत थी, जिसे आज भी याद कर हर फैन का सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है.

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