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RR vs DC – 16 April का Match और एक Scene जिसने सबको कर दिया Shock

यह घटना आरआर के बल्लेबाज़ रियान पराग से जुड़ी थी, जब उनके बल्ले को मैदान पर दो बार अंपायरों द्वारा जांचा गया।

इस सीज़न में अंपायरों द्वारा बल्लों की जांच करना एक आम प्रक्रिया बनती जा रही है। मैदान पर मौजूद अंपायर एक विशेष माप यंत्र (गौज) का उपयोग करके यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि बल्ला तय मानकों के अनुसार है या नहीं। इस प्रक्रिया में अब तक कई बड़े नामों के बल्ले फेल हो चुके हैं, जिनमें सुनील नारायण और एनरिच नॉर्खिया भी शामिल हैं।

इसी कड़ी में रियान पराग का बल्ला भी दो बार जांचा गया, जिस दौरान वह अंपायर से चर्चा करते नज़र आए। हालांकि यह चर्चा अपने आप में खास नहीं थी, लेकिन जो दृश्य सबसे ज़्यादा वायरल हुआ, वह था टीम के मुख्य कोच राहुल द्रविड़ का चेहरा।

राहुल द्रविड़, जिन्हें आमतौर पर शांत और संतुलित स्वभाव के लिए जाना जाता है, इस बार मैदान पर कुछ अलग ही अंदाज़ में दिखे। जब अंपायर पराग का बल्ला दूसरी बार जांच रहे थे, तब कैमरे ने द्रविड़ के चेहरे पर एक ठंडा, चिड़चिड़ा और कुछ हद तक निराश भाव कैद कर लिया। यह दृश्य सोशल मीडिया पर तेज़ी से फैल गया और लोग तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं देने लगे।

कई क्रिकेट प्रेमियों ने इसे “द्रविड़ का रॉ एंग्री मोड” कहा, तो कुछ ने मज़ाक में लिखा कि “अगर द्रविड़ भी चिढ़ जाएं, तो कुछ तो ज़्यादा ही हो रहा होगा!”

बल्लों की जांच: क्यों और कैसे?
आई.पी.एल. 2025 में बल्लों की जांच को लेकर यह नई सख़्ती देखने को मिल रही है। नियमों के अनुसार, बल्ले की लंबाई, चौड़ाई और किनारों की मोटाई तय मानकों के भीतर होनी चाहिए। किसी भी खिलाड़ी का बल्ला अगर इन मानकों से बड़ा या असंगत पाया जाता है, तो वह नियमों के विरुद्ध माना जाएगा।

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हाल ही में कई खिलाड़ियों के बल्ले इन परीक्षणों में असफल रहे हैं, जिससे यह साफ़ है कि इस बार टूर्नामेंट में उपकरणों को लेकर कोई ढील नहीं दी जा रही।

रियान पराग की प्रतिक्रिया
रियान पराग ने अंपायर से शांतिपूर्वक बातचीत की और मैदान पर कोई बहस या नाराज़गी नहीं दिखाई। उन्होंने अपना बल्ला जांच के लिए सहजता से सौंपा। हालांकि, यह दोहराई गई जांच टीम मैनेजमेंट के लिए कुछ असहजता का कारण बनी — और शायद इसी वजह से राहुल द्रविड़ की वह प्रतिक्रिया सामने आई।

राहुल द्रविड़ का यह वायरल चेहरा दिखाता है कि खेल के नियमों को लेकर टीम प्रबंधन कितना संवेदनशील और गंभीर हो सकता है, विशेष रूप से तब जब बार-बार एक ही खिलाड़ी के उपकरण की जांच हो रही हो। यह घटना सोशल मीडिया पर मज़ाक और मीम्स का विषय बन गई है, लेकिन इसके पीछे एक गंभीर संकेत भी है कि आई.पी.एल. अब तकनीकी और नियमों के मामले में और भी ज़्यादा सतर्क हो गया है।

 

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