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KL Rahul का IPL सफर: Debut से Captaincy तक की Inspirational Journey

केएल राहुल आज इंडियन टी ट्वेंटी लीग के सबसे भरोसेमंद और प्रतिभाशाली बल्लेबाज़ों में गिने जाते हैं। अपने तकनीकी कौशल, संयमित स्वभाव और निरंतरता के दम पर उन्होंने क्रिकेट के इस सबसे लोकप्रिय टूर्नामेंट में एक अलग पहचान बनाई है। लेकिन हर सितारे की तरह उनके सफर की शुरुआत भी बेहद साधारण रही थी।

आज जब वह अपना तैंतीसवां जन्मदिन मना रहे हैं, आइए एक बार नज़र डालते हैं उनके उस पहले मुकाबले पर, जब उन्होंने दो हजार तेरह में रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर के लिए कोलकाता नाइट राइडर्स के खिलाफ पदार्पण किया था।

पदार्पण का दिन: दो हजार तेरह

केएल राहुल ने इंडियन टी ट्वेंटी लीग में अपना पहला मैच दो हजार तेरह में खेला था। यह मुकाबला रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर और कोलकाता नाइट राइडर्स के बीच हुआ था। उस समय राहुल को सीमित अवसर मिले थे। उन्होंने उस सीजन में बैंगलोर के लिए कुल पांच मैच खेले और मात्र बीस रन बनाए। उनकी शुरुआत भले ही साधारण रही, लेकिन उनके भीतर छिपी प्रतिभा को नकारा नहीं जा सकता था।

पदार्पण मैच की रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर टीम: आज कहाँ हैं ये सितारे?

आइए जानें उस ऐतिहासिक मैच में खेलने वाले अन्य खिलाड़ियों के बारे में और यह भी देखें कि आज वे कहाँ हैं।

शीर्ष क्रम – क्रिस गेल, मयंक अग्रवाल और विराट कोहली

क्रिस गेल: इस मुकाबले में गेल ने विस्फोटक बल्लेबाज़ी करते हुए पचास गेंदों में पिचासी रन बनाए, जिसमें चार चौके और नौ छक्के शामिल थे। उनकी इस तूफ़ानी पारी के चलते बैंगलोर ने एक सौ पचपन रनों का लक्ष्य केवल पंद्रह गेंद शेष रहते ही प्राप्त कर लिया। गेल ने अंतिम बार वेस्ट इंडीज के लिए दो हजार इक्कीस के टी ट्वेंटी विश्व कप में खेला था। उसी वर्ष उन्होंने इंडियन टी ट्वेंटी लीग और कैरेबियन लीग में भी आखिरी बार हिस्सा लिया। इसके बाद वे एक विशेषज्ञ के रूप में टेलीविजन चैनलों पर विश्लेषण करते हुए दिखाई देते हैं।

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मयंक अग्रवाल: एक समय में भारत के टेस्ट सलामी बल्लेबाज़ रहे मयंक अग्रवाल अब भी इंडियन टी ट्वेंटी लीग का हिस्सा हैं। हाल ही में उन्होंने पंजाब और हैदराबाद की टीमों के लिए भी खेला है। उनकी तकनीकी बल्लेबाज़ी और शांत चित्त अब भी उनकी पहचान बने हुए हैं।

विराट कोहली: विराट कोहली उस समय भी टीम के मुख्य आधार थे और आज भी रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर के साथ जुड़े हुए हैं। वह अब तक टूर्नामेंट में सबसे ज़्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज़ हैं और भारत के महानतम क्रिकेटरों में उनका नाम लिया जाता है।

मध्य क्रम – केएल राहुल, सुरेश रैना (स्थानापन्न खिलाड़ी), एबी डिविलियर्स

केएल राहुल: राहुल ने अपना सफर उस सत्र में पांच मैचों से शुरू किया और धीरे-धीरे खुद को एक भरोसेमंद बल्लेबाज़ के रूप में स्थापित किया। आज वे लगभग पांच हज़ार रन बना चुके हैं, उनका औसत पैंतालीस दशमलव निन्यानवे और स्ट्राइक रेट एक सौ पैंतीस दशमलव पैंतालीस है।

एबी डिविलियर्स: दक्षिण अफ्रीका के पूर्व कप्तान और दुनिया के सबसे मनोरंजक बल्लेबाज़ों में गिने जाने वाले एबी डिविलियर्स अब संन्यास ले चुके हैं। वे अब विश्लेषक और मेंटर की भूमिका में नजर आते हैं, लेकिन प्रशंसकों के दिलों में आज भी उतने ही लोकप्रिय हैं।

ऑलराउंडर – मोइन अली, डैनियल क्रिस्टियन

मोइन अली: इंग्लैंड के हरफनमौला खिलाड़ी मोइन अली अब चेन्नई सुपर किंग्स का हिस्सा हैं। वे गेंद और बल्ले दोनों से उपयोगी प्रदर्शन करते हैं और चेन्नई की सफलता में उनकी भूमिका अहम रही है।

डैनियल क्रिस्टियन: ऑस्ट्रेलिया के इस खिलाड़ी ने कई लीगों में खेला है और अब संन्यास की ओर बढ़ रहे हैं। वे अब कोचिंग में भी अपनी सेवाएं देने लगे हैं।

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गेंदबाज़ – विनय कुमार, मुरली कार्तिक, रवि रामपॉल, जयदेव उनादकट

विनय कुमार: एक समय में भारतीय टीम के लिए खेलने वाले तेज़ गेंदबाज़ विनय कुमार अब संन्यास ले चुके हैं और कर्नाटक क्रिकेट से जुड़े हुए हैं।

मुरली कार्तिक: बाएं हाथ के इस फिरकी गेंदबाज़ ने भी संन्यास के बाद कमेंट्री की दुनिया में कदम रखा है और अब वे विभिन्न टूर्नामेंटों में हिंदी और अंग्रेज़ी में कमेंट्री करते दिखाई देते हैं।

रवि रामपॉल: वेस्ट इंडीज़ के इस तेज़ गेंदबाज़ ने लंबे समय तक अंतरराष्ट्रीय और लीग क्रिकेट खेला है, लेकिन अब वे सक्रिय क्रिकेट से दूर हैं।

जयदेव उनादकट: बाएं हाथ के यह तेज़ गेंदबाज़ अब भी घरेलू क्रिकेट और इंडियन टी ट्वेंटी लीग में सक्रिय हैं। वे एक अनुभवी खिलाड़ी के रूप में अपनी पहचान बनाए हुए हैं।

केएल राहुल का सफर एक प्रेरणा है उन सभी युवाओं के लिए जो बड़े मंच पर शुरुआत में संघर्ष करते हैं। दो हजार तेरह में मात्र बीस रन बनाने वाले इस खिलाड़ी ने मेहनत, अनुशासन और धैर्य के बल पर खुद को इंडियन टी ट्वेंटी लीग के सबसे भरोसेमंद बल्लेबाज़ों में स्थापित किया है।

आज जब वे तैंतीस वर्ष के हो गए हैं, उनका करियर अब भी बुलंदियों पर है। वह न केवल एक कप्तान, बल्कि एक आदर्श पति, पिता और सच्चे पेशेवर खिलाड़ी के रूप में भी सबके लिए मिसाल बन चुके हैं।

उनका यह सफर यह साबित करता है कि असली सितारा वही होता है जो कठिनाइयों से न घबराकर, उन्हें पार करता है — और हर बार बेहतर बनकर लौटता है।

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