cricket news

IPL 2025: बुमराह ने सुनाई बचपन की दिलचस्प कहानी मां को लगता था क्रिकेट से छूट जाएगी पढ़ाई

जसप्रीत बुमराह की बचपन की यादें: कैसे एक मां की चिंता और बैकयार्ड क्रिकेट ने भारत को दिया तेज़ गेंदबाज़ी का चमकता सितारा

आईपीएल 2025 के प्लेऑफ्स में जहां मुकाबलों का रोमांच चरम पर है, वहीं मुंबई इंडियंस के स्टार पेसर जसप्रीत बुमराह ने एक पॉडकास्ट में अपने बचपन से जुड़ी एक खास और दिलचस्प कहानी साझा की है। पूर्व ऑस्ट्रेलियाई कप्तान माइकल क्लार्क के साथ बातचीत के दौरान बुमराह ने बताया कि कैसे उनकी मां को लगता था कि अगर वह क्रिकेट को सीरियसली लेंगे, तो उनकी पढ़ाई अधूरी रह जाएगी।

बुमराह का क्रिकेट से जुड़ाव देर से शुरू हुआ

बुमराह ने खुलासा किया,

“मैंने क्रिकेट थोड़ी देर से शुरू किया, जैसा कि क्रिकेटिंग शेड्यूल होता है। मैंने अंडर-12 या अंडर-14 नहीं खेला। मैंने लगभग 17 साल की उम्र में क्रिकेट खेलना शुरू किया क्योंकि मेरी मां को लगता था कि अगर मैंने क्रिकेट पर ध्यान दिया, तो मैं स्कूल खत्म नहीं कर पाऊंगा।”

यह सुनना दिलचस्प है कि जो खिलाड़ी आज दुनिया के सबसे खतरनाक तेज़ गेंदबाज़ों में गिना जाता है, उसने औपचारिक क्रिकेट की शुरुआत दूसरों के मुकाबले काफी देर से की।

बैकयार्ड क्रिकेट से स्टेट टीम तक

बुमराह ने आगे बताया कि उन्होंने शुरुआत में सिर्फ गर्मियों की छुट्टियों में अपने दोस्तों के साथ बैकयार्ड क्रिकेट खेला।

“गंभीरता कभी नहीं थी। जब मैं स्कूल क्रिकेट खेलने गया, तब मैंने दो साल अंडर-19 लेवल पर अपने राज्य के लिए खेला। फिर मुझे सीधे T20 टीम के लिए चुना गया और वहां से मुंबई इंडियंस की नजर मुझ पर पड़ी।”

मुंबई इंडियंस से मिली पहचान

मुंबई इंडियंस ने ही जसप्रीत बुमराह को वह मंच दिया, जहां से उन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाई। उनकी यॉर्कर, पेस वेरिएशन और नर्व-कंट्रोलिंग परफॉर्मेंस ने MI को कई बार मैच जिताए हैं। IPL 2025 में भी बुमराह का प्रदर्शन काफ़ी प्रभावशाली रहा है और अब Eliminator में GT के खिलाफ उनकी भूमिका अहम होगी।

India vs Sri Lanka Playing XI : ऋषभ पंत बनाम संजू सैमसन, रोहित-कोहली और जडेजा की जगह कौन लेगा? सूर्यकुमार यादव को प्लेइंग इलेवन को लेकर कई सवालों का सामना करना पड़ा...

मां की सोच बनी प्रेरणा

बुमराह की मां का सोचना था कि क्रिकेट सिर्फ टाइमपास है और पढ़ाई ज़्यादा ज़रूरी है। लेकिन शायद यही सोच उनके बेटे को संतुलित जीवन और अनुशासन सिखाने में मददगार बनी। आज वही बुमराह भारतीय क्रिकेट का एक अहम स्तंभ बन चुके हैं।


 


 

Back to top button