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“ई साला कप नामदे” के बाद अब “ई साला टीम बेच दे”? RCB के मालिकाना हक में बड़े बदलाव की आहट, ये है असली वजह!

आईपीएल 2025 का वो ऐतिहासिक दिन… जब रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (RCB) ने पंजाब किंग्स को फाइनल में हराकर पहली बार खिताब अपने नाम किया। पूरे 18 साल का लंबा इंतजार खत्म हुआ और फैंस के चेहरों पर खुशी की लहर दौड़ गई। लेकिन इस जश्न के बीच अब एक ऐसी खबर सामने आई है, जो RCB के फैंस को चौंका सकती है। ट्रॉफी जीतने के ठीक बाद अब टीम के बिकने की अटकलें तेज हो गई हैं।

जी हाँ, रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु के मालिकाना हक में एक बहुत बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है।

ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट ने मचाई सनसनी

दुनिया की प्रतिष्ठित वित्तीय समाचार एजेंसी ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक, RCB की मौजूदा मालिक, ब्रिटिश स्पिरिट्स की दिग्गज कंपनी डियाजियो पीएलसी (Diageo PLC), अपनी फ्रैंचाइजी में पूरी या आंशिक हिस्सेदारी बेचने पर गंभीरता से विचार कर रही है। रिपोर्ट में बताया गया है कि कंपनी ने इस संबंध में वित्तीय सलाहकारों के साथ शुरुआती दौर की बातचीत भी शुरू कर दी है।

हालांकि, डियाजियो की तरफ से अभी तक कोई अंतिम फैसला नहीं लिया गया है, लेकिन इस खबर ने क्रिकेट जगत में हलचल मचा दी है, खासकर तब जब टीम ने आखिरकार खिताब का सूखा खत्म किया है।

क्यों बिक सकती है RCB? ये है पर्दे के पीछे का खेल

अब सवाल उठता है कि जब टीम अपने शिखर पर है, तो मालिक उसे क्यों बेचना चाहेंगे? इसका जवाब भारत सरकार की एक संभावित नीति में छिपा है।

  1. विज्ञापन पर लगेगी लगाम?: रिपोर्ट के अनुसार, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय आईपीएल जैसे बड़े टूर्नामेंटों के दौरान तंबाकू और शराब के सरोगेट विज्ञापनों (Surrogate Advertisements) पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने का विचार कर रहा है।

  2. डियाजियो का बिजनेस मॉडल: RCB की मालिक कंपनी यूनाइटेड स्पिरिट्स लिमिटेड (जो डियाजियो का हिस्सा है) मुख्य रूप से शराब बनाने वाली कंपनी है। भारत में शराब के सीधे विज्ञापन पर प्रतिबंध है, इसलिए ये कंपनियां मिनरल वाटर, सोडा या म्यूजिक सीडी जैसे उत्पादों के नाम पर अपने ब्रांड का प्रचार करती हैं।

  3. RCB की ब्रांड वैल्यू का इस्तेमाल: डियाजियो जैसी कंपनियां RCB के खिलाड़ियों और ब्रांड का इस्तेमाल इन्हीं सरोगेट विज्ञापनों के लिए करती हैं, जिससे उनके उत्पादों को करोड़ों लोगों तक पहुंचाया जा सके।

  4. नियम बदले तो खेल खत्म: अगर सरकार सरोगेट विज्ञापनों पर पूरी तरह से रोक लगा देती है, तो डियाजियो के लिए RCB में निवेश करने का एक बड़ा मकसद ही खत्म हो जाएगा। इससे कंपनी की ब्रांड विजिबिलिटी को भारी नुकसान होगा।

2 बिलियन डॉलर हो सकती है कीमत

साल 2016 में विजय माल्या के बाद RCB का स्वामित्व यूनाइटेड स्पिरिट्स लिमिटेड के पास आया था। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि कंपनी फ्रैंचाइजी की कीमत 2 बिलियन डॉलर (लगभग 16,000 करोड़ रुपये) से कुछ अधिक आंक रही है।

ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि 18 साल बाद ट्रॉफी जीतने वाली टीम का भविष्य क्या होता है। क्या फैंस को एक नए मालिक के साथ अपनी पसंदीदा टीम को देखना पड़ेगा? इस खबर ने जश्न के माहौल में एक अनिश्चितता घोल दी है, और अब सभी की निगाहें डियाजियो के अंतिम फैसले पर टिकी हैं।

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