Rajasthan Royals को संयोजन की जटिलता से बचने की सलाह Akash Chopra ने दी महत्वपूर्ण टिप्स

इंडियन प्रीमियर लीग 2025 का सीज़न इस समय अपने चरम पर है और सभी टीमें अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए संघर्ष कर रही हैं। राजस्थान रॉयल्स के लिए यह सीज़न कुछ उतार-चढ़ाव भरा रहा है। उन्हें अब तक अपने छह मुकाबलों में से चार अंक ही मिल पाए हैं, और वे अंक तालिका में आठवें स्थान पर हैं। ऐसे में, आगामी मुकाबला दिल्ली कैपिटल्स के खिलाफ उनके लिए बेहद अहम होगा, जो 16 अप्रैल, बुधवार को दिल्ली के अरुण जेटली स्टेडियम में खेला जाएगा। इस मैच को लेकर पूर्व भारतीय सलामी बल्लेबाज़ और क्रिकेट विश्लेषक आकाश चोपड़ा ने राजस्थान रॉयल्स को अहम सलाह दी है। उनका मानना है कि राजस्थान रॉयल्स को अपनी बल्लेबाज़ी रणनीति में कुछ बदलाव करने की आवश्यकता है, खासकर बाएं-दाएं बल्लेबाज़ों के संयोजन को लेकर। चोपड़ा ने इस बात पर जोर दिया कि टीम को इस नीति को लेकर अत्यधिक जटिलता में नहीं पड़ना चाहिए, क्योंकि इसका असर उनके खेल पर नकारात्मक रूप से पड़ा है।
आकाश चोपड़ा का दृष्टिकोण
अपने यूट्यूब चैनल ‘आकाश चोपड़ा’ पर आईपीएल 2025 के राजस्थान रॉयल्स और दिल्ली कैपिटल्स के मुकाबले का पूर्वावलोकन करते हुए चोपड़ा ने खुलकर अपनी राय रखी। उन्होंने कहा कि राजस्थान रॉयल्स की बल्लेबाज़ी क्रम में बाएं और दाएं हाथ के बल्लेबाज़ों का संयोजन एक अहम मुद्दा बन चुका है। चोपड़ा ने यह संकेत दिया कि कुछ मौकों पर, राजस्थान ने अपनी रणनीति के कारण अपने विस्फोटक बल्लेबाज़ों को पर्याप्त मौका नहीं दिया। आकाश चोपड़ा का कहना था कि बाएं-दाएं बल्लेबाज़ों के संयोजन के बारे में अधिक सोच-विचार करना और उसे पूरी तरह से अपने खेल पर लागू करना ज़रूरी नहीं है।
उन्होंने कहा, “लेफ्ट-राइट अच्छा है, लेकिन यह ज़िंदगी का अंतिम सत्य नहीं है कि हर हाल में लेफ्ट-राइट ही होना चाहिए। अगर कोई दाएं हाथ का बल्लेबाज़ आउट हो जाता है, तो आप तुरंत एक दाएं हाथ के बल्लेबाज़ को ही भेजने की बजाय अपने खिलाड़ी को बेहतर तरीके से उपयोग कर सकते हैं। इस तरह की जटिल सोच से न केवल मैच की रणनीति प्रभावित होती है, बल्कि बल्लेबाज़ों की स्वाभाविक बल्लेबाज़ी शैली भी प्रभावित हो सकती है।”
चोपड़ा ने उदाहरण के तौर पर शिमरोन हेटमायर और वानिंदु हसरंगा की स्थिति का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि एक दिन शिमरोन हेटमायर को निचले क्रम में भेजा गया क्योंकि उस समय टीम ने दाएं हाथ के बल्लेबाज़ को भेजने का फैसला किया था। इसके बाद एक और मैच में वानिंदु हसरंगा को उपर भेजा गया, जबकि वे सामान्य रूप से निचले क्रम में बेहतर खेलते हैं। इससे यह स्पष्ट होता है कि बाएं-दाएं संयोजन के अत्यधिक पालन ने टीम की बल्लेबाज़ी की लचीलापन को बाधित किया है।
राजस्थान रॉयल्स की बल्लेबाजी में समस्याएँ
राजस्थान रॉयल्स की बल्लेबाज़ी में एक प्रमुख समस्या यह रही है कि टीम के कई प्रमुख बल्लेबाज़ अपने पूरे सामर्थ्य के साथ खेलने का मौका नहीं पा रहे हैं। शिमरोन हेटमायर, जो अपने विस्फोटक बल्लेबाज़ी के लिए प्रसिद्ध हैं, उन्हें कई बार निचले क्रम में भेजा गया है, जिससे उनका प्रदर्शन प्रभावित हुआ है। हेटमायर को अपनी सामान्य स्थिति में बैटिंग करने का अवसर नहीं मिला है, जो उनकी बल्लेबाज़ी के लिए सबसे उपयुक्त है। यही स्थिति वानिंदु हसरंगा की भी रही है, जिनका बल्लेबाज़ी क्रम में उतार-चढ़ाव से उनका प्रदर्शन प्रभावित हुआ है।
इससे टीम के बल्लेबाज़ी क्रम की स्थिरता में कमी आई है। एक अच्छी टीम के लिए यह आवश्यक होता है कि उसकी बल्लेबाज़ी क्रम लचीली और परिस्थितियों के अनुसार बदली जा सके, ताकि हर खिलाड़ी अपनी स्वाभाविक क्षमता के साथ खेल सके। राजस्थान रॉयल्स को इस लचीलापन को अपनाने की आवश्यकता है, ताकि उनके सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी हमेशा अपनी बेहतरीन बल्लेबाज़ी कर सकें।
रणनीति में बदलाव की आवश्यकता
चोपड़ा ने राजस्थान रॉयल्स से आग्रह किया कि वे अपनी बल्लेबाज़ी रणनीति में बदलाव करें और बाएं-दाएं संयोजन को अत्यधिक महत्व न दें। उनका कहना था कि क्रिकेट में सफलता के लिए एक अच्छी बल्लेबाज़ी नीति और टीम के खिलाड़ियों की क्षमता के मुताबिक निर्णय लेना सबसे महत्वपूर्ण है। इस प्रकार की नीतियाँ, जो केवल संयोजन पर आधारित होती हैं, कभी-कभी टीम की प्राकृतिक ताकत को प्रभावित कर सकती हैं।
बाएं-दाएं संयोजन को लेकर इतनी ज्यादा सोच-विचार करना कभी-कभी क्रिकेट टीम के आत्मविश्वास को भी प्रभावित कर सकता है। यदि खिलाड़ी को यह महसूस होता है कि उसे किसी विशेष क्रम में खेलना है, केवल इसलिए क्योंकि उसे बाएं-दाएं के संयोजन में फिट होना है, तो यह उसकी मानसिकता को कमजोर कर सकता है। चोपड़ा का मानना है कि यह रवैया टीम के खिलाड़ियों के प्रदर्शन को प्रभावित कर सकता है और अंततः मैच के परिणाम पर नकारात्मक असर डाल सकता है।
राजस्थान रॉयल्स के वर्तमान हालात
राजस्थान रॉयल्स के लिए आईपीएल 2025 का सीज़न अपेक्षाएँ पूरी करने में मुश्किलें आ रही हैं। टीम के पास बेहतरीन खिलाड़ी हैं, लेकिन कुछ रणनीतिक गलतियाँ और संयोजन में कमी के कारण वे अभी तक अपने पूरे क्षमता के अनुसार प्रदर्शन नहीं कर पाए हैं। 6 मैचों में से 2 हार के बाद, राजस्थान रॉयल्स को अब हर मैच में जीत की ज़रूरत है, ताकि वे प्लेऑफ की रेस में बने रह सकें।
राजस्थान रॉयल्स को अपनी टीम में लचीलापन लाने की आवश्यकता है, ताकि वे आगामी मैचों में अपनी सर्वश्रेष्ठ रणनीति को लागू कर सकें। यदि वे आकाश चोपड़ा की सलाह पर अमल करते हैं, तो वे अपनी बल्लेबाज़ी के साथ-साथ टीम के समग्र खेल में सुधार देख सकते हैं।
आखिरकार, आईपीएल जैसी प्रतिस्पर्धी लीग में केवल बाएं-दाएं बल्लेबाज़ों के संयोजन पर ध्यान केंद्रित करना टीम की स्वाभाविक शक्ति को बाधित कर सकता है। आकाश चोपड़ा का कहना है कि राजस्थान रॉयल्स को अपनी रणनीति में बदलाव करना चाहिए और खिलाड़ियों को स्वाभाविक रूप से खेलने का मौका देना चाहिए। इससे उनकी टीम की बल्लेबाज़ी में अधिक लचीलापन आएगा और वे अपनी सर्वश्रेष्ठ क्षमता के साथ प्रदर्शन कर सकेंगे। राजस्थान रॉयल्स को यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि उनकी रणनीति टीम की ताकत को बढ़ाए, न कि उसे सीमित करे। आने वाले मैचों में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या राजस्थान रॉयल्स अपनी रणनीतियों में बदलाव करते हैं और क्या इसका सकारात्मक असर उनके खेल पर दिखाई देता है।