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सचिन और गावस्कर के भी आदर्श रहे भारत के डॉन ब्रैडमैन — वो महान बल्लेबाज जिसे दुनिया सलाम करती थी

भारत की क्रिकेट इतिहास में कई महान बल्लेबाज हुए हैं, लेकिन एक नाम ऐसा है जिसे खुद सचिन तेंदुलकर और सुनील गावस्कर जैसे दिग्गज भी अपना हीरो मानते हैं। वह नाम है विजय मर्चेंट — एक ऐसा बल्लेबाज, जिसे भारत का डॉन ब्रैडमैन कहा गया।

विजय मर्चेंट ने 1933 से 1951 के बीच भारत के लिए केवल 10 टेस्ट मैच खेले। यह संख्या भले ही कम लगे, लेकिन उनकी बल्लेबाजी का स्तर इतना ऊँचा था कि उन्होंने पूरी दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचा। उन्होंने ऐसे दौर में क्रिकेट खेला जब तकनीक और सुविधाएं सीमित थीं, लेकिन फिर भी अपनी प्रतिभा और अनुशासन के दम पर इतिहास रच दिया।

क्रिकेट के जादूगर और देशभक्ति के प्रतीक

सिर्फ एक महान बल्लेबाज ही नहीं, विजय मर्चेंट सच्चे देशभक्त भी थे। एक बार उन्होंने अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ विरोध जताते हुए टीम से अपना नाम वापस ले लिया था। 5 फीट 7 इंच के इस खिलाड़ी का फुटवर्क, कट, ड्राइव और लेट-कट आज भी मिसाल के तौर पर याद किया जाता है।

रिकॉर्ड जो आज भी प्रेरणा देते हैं

विजय मर्चेंट का फर्स्ट क्लास करियर अद्वितीय रहा। उन्होंने 150 फर्स्ट क्लास मैचों में 71.64 की अविश्वसनीय औसत से रन बनाए। यह औसत डॉन ब्रैडमैन (95.14) के बाद दूसरा सर्वश्रेष्ठ है। रणजी ट्रॉफी में उनके आंकड़े और भी बेहतर रहे।

टेस्ट करियर की बात करें तो उन्होंने 10 टेस्ट मैचों की 18 पारियों में 47.72 की औसत से 859 रन बनाए, जिसमें 3 शतक और 3 अर्धशतक शामिल रहे। खास बात यह है कि उन्होंने ये सभी टेस्ट मैच इंग्लैंड के खिलाफ खेले थे।

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सबसे उम्रदराज भारतीय टेस्ट सेंचुरियन

उनकी सबसे खास उपलब्धियों में से एक है — सबसे ज्यादा उम्र में टेस्ट शतक लगाने वाले भारतीय बल्लेबाज बनना। क्रिकेट से संन्यास के बाद उन्होंने चयनकर्ता, लेखक और रेडियो कार्यक्रम प्रस्तोता के रूप में भी अहम योगदान दिया।

76 वर्ष की आयु में उनका निधन हुआ, लेकिन भारतीय क्रिकेट में उनका योगदान कभी नहीं भुलाया जा सकता। बीसीसीआई ने उनकी स्मृति में विजय मर्चेंट ट्रॉफी की शुरुआत की, जो आज भी युवा क्रिकेटरों के लिए एक प्रेरणा बनी हुई है।

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