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Rahul Dravid ने उठाए गंभीर सवाल IPL के Impact Player नियम पर कहा All-rounders के growth में बन रहा सबसे बड़ा hurdle

 भारतीय क्रिकेट के दिग्गज और वर्तमान में इंडियन प्रीमियर लीग फ्रेंचाइजी राजस्थान रॉयल्स के मुख्य कोच, राहुल द्रविड़ ने आईपीएल के बहुचर्चित ‘इम्पैक्ट प्लेयर’ नियम को लेकर अपनी स्पष्ट असहमति जताई है। द्रविड़, जो भारतीय राष्ट्रीय टीम के पूर्व मुख्य कोच भी रह चुके हैं, का मानना है कि यद्यपि इस नियम ने लीग के मैचों में प्रतिस्पर्धात्मकता और रोमांच का स्तर बढ़ाया है, लेकिन यह भारतीय क्रिकेट के भविष्य, विशेषकर बहुमुखी प्रतिभा वाले ऑलराउंडर खिलाड़ियों के विकास के लिए एक महत्वपूर्ण बाधा साबित हो रहा है।

52 वर्षीय द्रविड़ ने इस बात पर जोर दिया कि जब वह भारतीय टीम के कोच थे, तब भी वह इस नियम के बड़े प्रशंसक नहीं थे। उनका तर्क है कि इस नियम की वजह से टीमों को मैच के दौरान एक विशेषज्ञ बल्लेबाज या गेंदबाज को बदलने की सुविधा मिल जाती है, जिससे उन खिलाड़ियों की आवश्यकता और महत्व कम हो जाता है जो बल्लेबाजी और गेंदबाजी दोनों में समान रूप से योगदान दे सकते हैं।

स्पोर्टस्टार के साथ हाल ही में हुए एक विस्तृत साक्षात्कार में, द्रविड़ ने अपने विचारों को और स्पष्ट करते हुए कहा, “मैं पूरी ईमानदारी से कहूंगा: जब मैं भारत का कोच था, तब मुझे इम्पैक्ट प्लेयर नियम विशेष रूप से पसंद नहीं था। ऐसा इसलिए नहीं है कि यह खेल को अधिक प्रतिस्पर्धी नहीं बनाता – यह निश्चित रूप से ऐसा करता है। यह रणनीति में एक नई जटिलता जोड़ता है और मैचों को बिल्कुल अंत तक जीवंत और रोमांचक बनाए रखता है, जो दर्शकों के नजरिए से बहुत अच्छा है।”

हालांकि, उन्होंने तुरंत इसके नकारात्मक पहलू पर प्रकाश डाला, “लेकिन, अगर हम राष्ट्रीय टीम के दृष्टिकोण से देखें, तो इसने निश्चित रूप से कुछ गंभीर चुनौतियां पेश की हैं।” द्रविड़ का इशारा स्पष्ट रूप से इस ओर था कि आईपीएल में इस नियम के कारण ऑलराउंडरों को अपनी दोनों क्षमताओं का प्रदर्शन करने और उन्हें निखारने के पर्याप्त अवसर नहीं मिल पा रहे हैं। जब टीमों को पता होता है कि वे जरूरत पड़ने पर एक विशेषज्ञ खिलाड़ी को ‘इम्पैक्ट प्लेयर’ के रूप में ला सकते हैं, तो वे अक्सर अपनी शुरुआती एकादश में शुद्ध ऑलराउंडर को शामिल करने से कतराते हैं या उन्हें उनकी पूरी क्षमता का उपयोग करने का मौका नहीं देते।

द्रविड़ की चिंता यह भी है कि इससे राष्ट्रीय चयनकर्ताओं के लिए खिलाड़ियों का सही आकलन करना मुश्किल हो जाता है। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में ‘इम्पैक्ट प्लेयर’ जैसा कोई नियम नहीं है, और वहां टीमों को संतुलित एकादश की आवश्यकता होती है जिसमें अच्छे ऑलराउंडर महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यदि आईपीएल, जो कि प्रतिभा खोजने का एक प्रमुख मंच है, ऑलराउंडरों के विकास को सीमित कर देगा, तो भविष्य में राष्ट्रीय टीम के लिए गुणवत्ता वाले ऑलराउंडर ढूंढना और तैयार करना कठिन हो सकता है।

उन्होंने समझाया कि यह नियम खेल के संतुलन को भी प्रभावित करता है, जहां एक टीम अपनी बल्लेबाजी या गेंदबाजी की कमजोरी को मैच के बीच में ही ठीक कर सकती है, जो पारंपरिक क्रिकेट के सिद्धांतों से थोड़ा अलग है।

राहुल द्रविड़, जिन्हें भारतीय क्रिकेट की ‘दीवार’ के रूप में जाना जाता है और जिन्होंने राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी के प्रमुख के रूप में भी युवा प्रतिभाओं को निखारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, उनके इस बयान ने ‘इम्पैक्ट प्लेयर’ नियम पर चल रही बहस को और तेज कर दिया है। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड और आईपीएल गवर्निंग काउंसिल भविष्य में इस नियम के प्रभावों का मूल्यांकन करते हुए इसमें कोई संशोधन करने पर विचार करती है या नहीं। फिलहाल, द्रविड़ के विचारों ने इस नियम के दीर्घकालिक परिणामों पर एक महत्वपूर्ण प्रश्नचिह्न लगा दिया है।

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