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RCB के Pillar Virat Kohli ने अपने Glorious IPL Career में जड़े Shatakon के ताबड़तोड़ रिकॉर्ड

 मानो यह उनके लिए कोई सहज क्रीड़ा मात्र हो। जहाँ इंडियन प्रीमियर लीग के इतिहास में उनके नाम सर्वाधिक आठ शतकों का कीर्तिमान स्थापित होना अपने आप में एक अद्भुत और अविश्वसनीय उपलब्धि है, वहीं यह कहना भी अतिश्योक्ति नहीं होगा कि यह चैम्पियन बल्लेबाज थोड़े दुर्भाग्य का भी शिकार रहा, अन्यथा आज उनके खाते में नौ तीन अंकों के स्कोर दर्ज होते।

यह घटना वर्ष २०१३ के आईपीएल सत्र की है, वह दौर जब विराट कोहली रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु की कप्तानी का भार अपने कंधों पर वहन कर रहे थे। उस विशिष्ट मुकाबले में, उनकी टीम दिल्ली कैपिटल्स के विरुद्ध खेल रही थी, जो उस समय दिल्ली डेयरडेविल्स के नाम से प्रतिष्ठित थी। पारी की एकदम अंतिम गेंद पर जो हुआ, वह क्रिकेट प्रेमियों की स्मृति में आज भी अंकित है – कोहली शतक से मात्र एक कदम, सिर्फ एक रन दूर रह गए। विशेष बात यह थी कि यह मैच दिल्ली के फिरोजशाह कोटला मैदान, उनके अपने घरेलू मैदान पर खेला जा रहा था। पारी के प्रारंभिक चरण में ही संकट के बादल मंडराने लगे जब केवल दो ओवरों के खेल के पश्चात विध्वंसक बल्लेबाज क्रिस गेल का बेशकीमती विकेट गिर गया। ऐसी नाजुक परिस्थिति में इस दाहिने हाथ के प्रतिभाशाली बल्लेबाज को मैदान पर कदम रखना पड़ा।

परन्तु, कोहली उस दिन एक अलग ही संकल्प और अद्भुत लय के साथ मैदान में उतरे थे। उन्होंने आते ही पारी को सँभालने का जिम्मा उठाया और अपने नैसर्गिक आक्रामक अंदाज के साथ दिल्ली के गेंदबाजों पर प्रहार करना आरंभ कर दिया। एक छोर पर विकेट गिरते रहे, परन्तु कोहली चट्टान की भांति खड़े रहे और स्कोरबोर्ड को गतिमान रखा। उनकी बल्लेबाजी में आत्मविश्वास और कलात्मकता का अद्भुत संगम देखने को मिल रहा था। देखते ही देखते, आरसीबी की पारी अपने अंतिम पड़ाव पर पहुँच गई और अंतिम गेंद फेंकी जानी शेष थी। तब तक कोहली ५७ गेंदों का सामना कर ९८ रनों के व्यक्तिगत स्कोर पर पहुँच चुके थे। पूरा स्टेडियम अपने प्रिय स्थानीय नायक के समर्थन में उल्लास से भर उठा था, हर कोई उनके पहले आईपीएल शतक की ऐतिहासिक उपलब्धि का साक्षी बनने को आतुर था। हवा में एक अद्भुत रोमांच और प्रत्याशा घुल गई थी।

अंतिम गेंद फेंकी गई, कोहली ने उसे खेला और तेजी से रन लेने के लिए दौड़े। एक रन पूरा करते ही शतक बन जाता, इतिहास रच जाता, परन्तु नियति को कुछ और ही मंजूर था। क्षेत्ररक्षक की फुर्ती और सटीक थ्रो के कारण, इससे पहले कि कोहली अपना बल्ला क्रीज के अंदर सुरक्षित रख पाते, गिल्लियाँ बिखर गईं। वह दुर्भाग्यपूर्ण तरीके से ९९ रन के स्कोर पर रन आउट हो गए। क्षण भर में स्टेडियम में उत्साह का स्थान गहरी निराशा और खामोशी ने ले लिया। शतक के इतने निकट पहुँचकर उससे वंचित रह जाना अत्यंत पीड़ादायक था। यह घटना उनके शानदार करियर के उन चंद पलों में से एक है जहाँ भाग्य ने उनका साथ नहीं दिया, और वह एक यादगार शतक बनाने से चूक गए, जो उनके आठ शतकों की शानदार सूची में एक और नगीना जड़ सकता था।

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