Shubman Gill बने टेस्ट कप्तान लेकिन आकाष चोपड़ा ने उठाए सवाल क्या यह सही फैसला है

शुभमन गिल को इंग्लैंड दौरे के लिए भारतीय टेस्ट टीम का कप्तान बनाए जाने के फैसले ने क्रिकेट जगत में खलबली मचा दी है। पूर्व ओपनर और क्रिकेट विश्लेषक आकाश चोपड़ा ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी है, जो अब चर्चा का बड़ा विषय बन चुकी है।
भारत और इंग्लैंड के बीच 20 जून से लीड्स में शुरू हो रही पांच टेस्ट मैचों की सीरीज के लिए रोहित शर्मा की टेस्ट से रिटायरमेंट के बाद सभी की निगाहें अगला टेस्ट कप्तान कौन होगा, इस पर टिकी थीं। हाल ही में आई रिपोर्ट्स में शुभमन गिल का नाम सबसे आगे चल रहा था, लेकिन जब उनका नाम आधिकारिक तौर पर सामने आया, तो फैंस और विशेषज्ञों के बीच राय बंटी हुई नजर आई।
आकाश चोपड़ा ने ईएसपीएन क्रिकइन्फो पर इस फैसले को लेकर अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा (हिंदुस्तान टाइम्स के माध्यम से):
“उनका औसत 35 है। विदेशी पिचों पर उनका औसत लगभग 25 है और यह बतौर बल्लेबाज़ भी स्वस्थ नहीं है, कप्तान बनने की बात तो अलग है। टेस्ट क्रिकेट में कई चुनौतियां होती हैं। अगर बात वनडे की होती, तो हम कहते कि बिल्कुल ठीक है, वह उत्तराधिकारी हैं। उन्हें लंबे समय से उप-कप्तान भी बनाया गया है।”
शुभमन गिल का टेस्ट करियर अब तक मिले-जुले प्रदर्शन से भरा रहा है। जहां एक ओर उन्होंने घरेलू पिचों पर कुछ अहम पारियां खेली हैं, वहीं विदेशी धरती पर उनका प्रदर्शन अपेक्षानुसार नहीं रहा। विशेष रूप से इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया और साउथ अफ्रीका जैसे देशों में उनके आंकड़े चिंता का विषय बने हुए हैं।
भारत की टेस्ट टीम हमेशा से अनुभव और निरंतरता को प्राथमिकता देती आई है। ऐसे में गिल जैसे युवा बल्लेबाज़ को कप्तानी सौंपना कई लोगों को जल्दबाजी भरा फैसला लग रहा है। हालांकि, भारतीय टीम मैनेजमेंट ने शायद भविष्य को ध्यान में रखते हुए यह कदम उठाया है, क्योंकि शुभमन गिल को काफी समय से सभी प्रारूपों में उत्तराधिकारी के रूप में देखा जा रहा है।
चोपड़ा की आलोचना उस वक्त और भी अहम हो जाती है जब भारत इंग्लैंड के खिलाफ उनके घरेलू मैदान पर खेलने जा रहा है – जहां पिचें स्विंग और सीम मूवमेंट के लिए जानी जाती हैं। गिल के लिए यह दौरा एक बड़ी परीक्षा साबित हो सकता है – न केवल बतौर बल्लेबाज, बल्कि बतौर कप्तान भी।
भारतीय टेस्ट टीम में कई अनुभवी खिलाड़ी जैसे आर अश्विन, जसप्रीत बुमराह और चेतेश्वर पुजारा (यदि चयनित हों) मौजूद हैं, जिनका नेतृत्व अनुभव गिल के लिए फायदेमंद हो सकता है। लेकिन क्या सिर्फ भविष्य की योजना बनाकर वर्तमान की कठिनाइयों को नज़रअंदाज़ किया जा सकता है? यह सवाल अब चर्चा का केंद्र बन गया है।
फैंस का रिएक्शन भी बंटा हुआ है – कुछ इसे यंग लीडरशिप की ओर कदम मानते हैं, वहीं कुछ को लगता है कि गिल को पहले अपनी बल्लेबाज़ी पर ध्यान देना चाहिए था।
अब सभी की निगाहें 20 जून से शुरू हो रही सीरीज पर टिकी हैं, जहां शुभमन गिल का नेतृत्व पहली बार परखा जाएगा। क्या वह आलोचनाओं को गलत साबित कर पाएंगे? जवाब मैदान पर मिलेगा।