इन भारतीय दिग्गजों को नहीं मिला विराट विदाई का हक – मैदान से नहीं, चुपचाप अलविदा कहा!

हर क्रिकेटर का सपना होता है कि जब वह अपने शानदार करियर का अंत करे, तो मैदान पर उसे फैंस और टीम के बीच सम्मानपूर्वक विदाई मिले। लेकिन भारतीय क्रिकेट के कुछ ऐसे महान खिलाड़ी भी हैं, जो अपने असाधारण योगदान के बावजूद इस सम्मान से वंचित रह गए। इन खिलाड़ियों ने न सिर्फ देश को गौरव दिलाया बल्कि कई ऐतिहासिक पलों के गवाह बने, फिर भी जब उन्होंने संन्यास लिया तो कोई विदाई समारोह नहीं हुआ, न कोई आखिरी मैच। आइए जानते हैं उन 5 अनलकी भारतीय क्रिकेटर्स के बारे में जिन्हें क्रिकेट से अलविदा कहते वक्त मैदान से ‘गौरवपूर्ण विदाई’ नहीं मिली।
1. महेंद्र सिंह धोनी – चुपचाप अलविदा कह गए ‘कैप्टन कूल’
भारत को तीन आईसीसी ट्रॉफी दिलाने वाले एमएस धोनी ने 2014 में टेस्ट क्रिकेट और 2020 में वनडे-टी20 से अचानक संन्यास की घोषणा कर दी। धोनी जैसे खिलाड़ी, जिन्होंने भारत को T20 वर्ल्ड कप (2007), वनडे वर्ल्ड कप (2011) और चैंपियंस ट्रॉफी (2013) जिताई, उन्हें विदाई मैच ज़रूर मिलना चाहिए था। लेकिन उन्होंने बिना शोर-शराबे के इंस्टाग्राम पोस्ट के जरिए अलविदा कह दिया।
2. वीरेंद्र सहवाग – ‘नजफगढ़ के नवाब’ को भी नहीं मिली सलामी
वीरू के बल्ले से निकले दो तिहरे शतक और कई तूफानी पारियां आज भी फैंस के जे़हन में हैं। उन्होंने 2015 में इंटरनेशनल क्रिकेट को अलविदा कह दिया था, लेकिन BCCI ने उन्हें मैदान से आखिरी बार विदाई देने की कोई पहल नहीं की। ऐसे विस्फोटक बल्लेबाज़ को विदाई का मंच न मिलना वाकई निराशाजनक है।
3. गौतम गंभीर – दो वर्ल्ड कप के हीरो, फिर भी विदाई से दूर
2007 टी20 वर्ल्ड कप और 2011 वनडे वर्ल्ड कप फाइनल में निर्णायक पारियां खेलने वाले गंभीर ने 2018 में क्रिकेट से संन्यास लिया। उनके योगदान को देखते हुए यह उम्मीद थी कि उन्हें विदाई मैच मिलेगा, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। एक मैच विनर बल्लेबाज़ का ऐसा अंत कहीं से भी न्यायोचित नहीं कहा जा सकता।
4. राहुल द्रविड़ – ‘द वॉल’ भी रह गए मैदान से अलविदा कहने को तरसते
द्रविड़ ने 2012 में इंटरनेशनल क्रिकेट से संन्यास लिया। उन्होंने टेस्ट और वनडे दोनों में 10,000 से ज्यादा रन बनाए और सबसे भरोसेमंद बल्लेबाज़ों में से एक रहे। लेकिन जब उन्होंने आखिरी बार बल्ला उठाया, तो कोई तालियों की गूंज नहीं थी, न कोई औपचारिक विदाई। आज वे कोच के रूप में देश की सेवा कर रहे हैं, लेकिन खिलाड़ी के तौर पर विदाई की कमी हमेशा खलेगी।
5. जहीर खान – 600+ विकेट वाले योद्धा की खामोश विदाई
भारतीय तेज़ गेंदबाज़ी को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने वाले जहीर खान ने 2017 में संन्यास लिया, लेकिन आखिरी मैच से विदाई नहीं मिली। 92 टेस्ट में 311 और 200 वनडे में 282 विकेट लेने वाले इस बाएं हाथ के गेंदबाज़ को चोटों ने घेर लिया और वे मैदान पर फिर वापसी नहीं कर सके। उनका योगदान हमेशा याद रखा जाएगा, लेकिन एक विदाई मैच का हक वो भी रखते थे।
इन सभी महान खिलाड़ियों ने भारतीय क्रिकेट को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया, लेकिन जब बारी विदाई की आई तो उन्हें वह मंच नहीं मिला जिसके वे असल हकदार थे। समय आ गया है कि बोर्ड ऐसे खिलाड़ियों को सम्मान देने की परंपरा शुरू करे, ताकि भविष्य में कोई दिग्गज बिना विदाई के मैदान से न जाए।