Virat Kohli ने टेस्ट क्रिकेट को कहा अलविदा: 5 पारियां जो हमेशा रहेंगी यादगार

भारतीय क्रिकेट के चमकते सितारे और सबसे सफल टेस्ट कप्तानों में से एक, विराट कोहली ने 12 मई को इंस्टाग्राम के ज़रिए टेस्ट क्रिकेट से संन्यास की घोषणा कर दी। यह खबर न सिर्फ उनके करोड़ों फैंस के लिए भावुक पल लेकर आई, बल्कि भारतीय क्रिकेट के एक युग के अंत का संकेत भी बनी।
2011 में वेस्टइंडीज के खिलाफ किंग्सटन में डेब्यू करने वाले कोहली ने 123 टेस्ट मैचों में 9230 रन बनाए, जिसमें 30 शतक और 31 अर्धशतक शामिल हैं। उनकी औसत 46.85 की रही, लेकिन आंकड़ों से बढ़कर, उन्होंने भारतीय टीम को विदेशों में जीतने की आदत डाली।
यहां हम नज़र डाल रहे हैं उनकी टेस्ट करियर की 5 सबसे अंडररेटेड पारियों पर, जो भले ही रिकॉर्ड बुक में न चमकी हों, लेकिन असल क्रिकेट प्रेमियों के दिल में हमेशा रहेंगी:
1. 104 रन vs श्रीलंका, कोलकाता 2017
कठिन पिच, स्विंग करती गेंद और दबाव की स्थिति — कोहली ने शानदार बल्लेबाज़ी करते हुए 119 गेंदों में 104 रन बनाए। भारत ने दूसरी पारी में 352 रन बनाए और श्रीलंका को मैच बचाने के लिए संघर्ष करना पड़ा। यह पारी कोहली के टेस्ट मानसिकता की मिसाल थी।
2. 103 रन vs श्रीलंका, गॉल 2015
भारत ने पहली पारी में 192 रन की बढ़त ली, और कोहली ने इस टेस्ट में एक शानदार 103 रन बनाए। हालांकि दूसरी पारी में टीम हार गई, लेकिन यह पारी भारत की भविष्य की कप्तानी दिशा को दिखा गई — आक्रामक, निडर और नेतृत्व से भरी।
3. 54 रन vs दक्षिण अफ्रीका, जोहान्सबर्ग 2018
एक खतरनाक पिच पर, जहां बॉल उठ रही थी और किसी भी वक्त आउट कर सकती थी, कोहली ने 54 रन की संघर्षभरी पारी खेली। इस पिच को खुद ICC ने “खतरनाक” माना था। भारत ने अंततः वह टेस्ट 63 रनों से जीता।
4. 74 रन vs ऑस्ट्रेलिया, एडीलेड 2020
यह टेस्ट कोहली का उस दौरे का पहला और अंतिम मैच था। उन्होंने 74 रन की पारी खेली लेकिन रनआउट हो गए। यदि वह आउट न होते, तो यह निश्चित तौर पर एक बड़ा शतक होता। उस मैच के बाद भारत की ऐतिहासिक वापसी की नींव कोहली ने ही रखी थी।
5. 75 रन vs ऑस्ट्रेलिया, पर्थ 2012
अपने पहले ऑस्ट्रेलियाई दौरे पर कोहली ने दिखा दिया कि वह फाइटर हैं। जब भारत के टॉप ऑर्डर ने घुटने टेक दिए, कोहली ने 75 रन बनाकर अकेले संघर्ष किया। उस पारी में क्लास और टेम्परामेंट दोनों दिखा।
विराट कोहली का टेस्ट सफर सिर्फ आंकड़ों का नहीं, बल्कि एक मानसिकता का प्रतीक रहा — आक्रामकता, आत्मविश्वास और टीम के लिए मर-मिटने का जज़्बा।
उनकी ये पारियां आज भी यह साबित करती हैं कि विराट कोहली केवल एक बल्लेबाज़ नहीं, बल्कि टेस्ट क्रिकेट की आत्मा थे।