ओलंपिक एथलीट की तरह ट्रेनिंग करने वाले पहले क्रिकेटर बने VIRAT KOHLI शंकर बसु का खुलासा

विराट कोहली: भारतीय क्रिकेट में फिटनेस की नई परिभाषा
भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व स्ट्रेंथ एंड कंडीशनिंग कोच शंकर बसु ने खुलासा किया है कि विराट कोहली वह पहले भारतीय क्रिकेटर थे जिन्होंने पारंपरिक फिटनेस तरीकों से हटकर ओलंपिक एथलीट की तरह ट्रेनिंग करने का निर्णय लिया। शंकर बसु के मुताबिक, कोहली ने सिर्फ खुद की फिटनेस पर ध्यान नहीं दिया बल्कि पूरी टीम के फिटनेस कल्चर को ही बदल दिया।
कोहली: लीडर भी, स्टूडेंट भी
शंकर बसु ने ‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ को दिए एक इंटरव्यू में बताया, “विराट कोहली एक बहुत अच्छे छात्र हैं। वह हर नई ट्रेनिंग या तकनीक के बारे में सवाल पूछते हैं और जब तक उन्हें संतोषजनक जवाब नहीं मिल जाता, वह किसी दिशा में कदम नहीं बढ़ाते। लेकिन एक बार जब वह किसी चीज़ को समझ जाते हैं, तो पूरी ईमानदारी और समर्पण के साथ उस पर अमल करते हैं।”
पारंपरिक फिटनेस से हटकर ओलंपिक स्टाइल ट्रेनिंग
शंकर बसु ने यह भी बताया कि विराट कोहली कभी भी पारंपरिक, ‘जिम जाने और वेट उठाने’ वाले तरीकों से संतुष्ट नहीं थे। उन्हें कुछ अलग और वैज्ञानिक तरीके चाहिए थे। उन्होंने ओलंपिक एथलीट्स की तरह ट्रेनिंग करना शुरू किया, जिसमें एक्सप्लोसिव पावर, एगिलिटी, मोबिलिटी और फंक्शनल स्ट्रेंथ पर जोर दिया गया।
टीम के लिए रोल मॉडल बने कोहली
कोहली की इस सोच और अनुशासन ने भारतीय टीम के अन्य खिलाड़ियों पर भी गहरा प्रभाव डाला। शंकर बसु के अनुसार, “एक अच्छा लीडर पहले खुद रोल मॉडल बनता है। विराट कोहली ने यह काम बखूबी किया। उन्होंने न सिर्फ खुद को फिट किया, बल्कि पूरी टीम को भी एक नई फिटनेस मानसिकता दी। आज भारतीय क्रिकेट टीम जिस स्तर की फुर्ती और फिटनेस दिखाती है, उसमें कोहली का बड़ा योगदान है।”
कोहली का सवाल करने वाला स्वभाव बना ताकत
बसु ने बताया कि कोहली का सवाल पूछना उनकी सबसे बड़ी ताकत थी। “वह हमेशा जानना चाहते थे कि कोई वर्कआउट क्यों जरूरी है, किस तरह के फायदे होंगे, और उससे उनकी परफॉर्मेंस पर क्या असर पड़ेगा। वह कभी भी ब्लाइंडली कुछ फॉलो नहीं करते। यही कारण है कि वह आज भी इतने फिट और एक्टिव हैं।”
कोहली की फिटनेस से प्रेरित हुई पूरी टीम
कोहली ने फिटनेस को सिर्फ पर्सनल गोल नहीं रखा बल्कि इसे टीम संस्कृति का हिस्सा बना दिया। चाहे यो-यो टेस्ट हो या फील्डिंग के दौरान एगिलिटी, उन्होंने हर खिलाड़ी को प्रेरित किया कि वह सिर्फ बैट और बॉल पर ही नहीं, बल्कि अपने शरीर और माइंड पर भी काम करे।